बूढ़े आदमी की गठरी और युवक का लालच (Budhe Ki Gathri aur Yuvak Ka Lalach) : बहुत समय पहले की बात है। किशनपुर के महाराज को अपने कोषागार के लिए एक युवक की भर्ती करनी थी। लेकिन राजा को कोई ईमानदार आदमी नही मिल रहा था। ऐसे में राजा ने एक प्लान बनाया और बूढ़े आदमी का भेष बदल कर 3 गठरी बनाकर पहाड़ के रास्ते चल दिया। उसके सैनिक जंगल में छिप कर राजा की सुरक्षा में लगे थे।
इसी बीच के बलवान और हष्ट-पुष्ट युवक वहाँ से निकला। उसको देख कर बूढ़े आदमी ने आवाज़ लगाई और बोला – बेटा अगर तुम मेरी ताम्बे के सिक्के से भरी एक गठरी लेकर पहाड़ पार करा दो तो मैं तुम्हें 5 ताम्बे के सिक्के दूँगा। ये सुन कर युवक मान गया और बूढ़े आदमी की गठरी लेकर पहाड़ पार करके आगे उसका इंतेज़ार करने लगा।

बूढ़ा जब वहाँ पहुँचा तो उसने युवक से कहा बेटा तुमने यहाँ तक तो मेरी मदद की लो अब अपना इनाम और उसने अपनी ताम्बे के सिक्के वाली गठरी से 5 सिक्के उसे दे देता है। उसके बाद बूढ़े आदमी से उस युवक से कहा – बेटा! अगर तुम मेरी 2 गठरी एक ताम्बे के सिक्के वाली और एक चाँदी के सिक्के वाली गठरी को लेकर अगले वाले पहाड़ को पार करने में मेरी मदद करो, तो मैं तुम्हें 5 ताम्बे के सिक्के और 5 चाँदी के सिक्के दूँगा।
युवक मान गया और दोनों गठरी लेकर आगे चल दिया। फिर पहाड़ पार करके बूढ़े का इंतेज़ार करने लगा। कुछ देर में बूढ़ा आया और उसे 5 ताम्बे के सिक्के और 5 चाँदी के सिक्के देकर कहा – बेटा! अगले वाले पहाड़ का रास्ता और दुर्गम है। अगर तुम मेरी तींनों गठरी (1 ताम्बे के सिक्के वाली, दूसरी चाँदी के सिक्के वाली और तीसरी सोने के सिक्के वाली) लेकर इसे पार करने में मेरी मदद करो तो मैं तुम्हें 5 ताम्बे के सिक्के, 5 चाँदी के सिक्के और 5 सोने के सिक्के दूँगा।
तब युवक ने कुछ सोचा और फिर हाँ कर दी। कुछ दूर जाने पर युवक के मन में लालच आया और उसने सोचा – क्यों न तीनों गठरी लेकर भाग लिया जाए। जंगल में कोई बूढ़े की मदद भी नही करेगा और ना ही बूढ़ा आदमी मुझे खोज पाएगा। ऐसा सोच कर वो तीनों गठरी लेकर वहाँ से भाग निकला।
कुछ दूर जाने के बाद उसने सोचा क्यों ना सोने के सिक्के देखे जाएँ। उसने सोने के सिक्के वाली गठरी खोल कर देखी तो सभी सिक्के नक़ली निकले साथ में उसमें एक पत्र भी रखा था।
उस पत्र में लिखा था – तुमने जिस बूढ़े आदमी की गठरी चोरी की है वो इस राज्य के राजा हैं। राजा साहेब बूढ़े का भेष बदल कर अपने कोषागार के लिए के ईमानदार सैनिक की तलाश कर रहे हैं। अगर तुम्हारे मन में लालच ना आता तो आज सैनिक के रूप में तुम्हारी भर्ती हो जाती और तुम्हें रहने के लिए बढ़िया मकान, गाड़ी, अच्छा वेतन और नौकर-चाकर राजा की तरफ़ से मिलते।
लेकिन लालच करके अब तुमको कुछ नही मिलेगा इसकी बजाय तुम्हें अब जेल जाना पड़ेगा क्योंकि तुमने राजा जी का सामान चोरी किया है। तुम यह मत सोचना की अब तुम्हें कोई नही पकड़ पाएगा और तुम बच जाओगे क्योंकि राजा के सैनिक छिप कर हर पल तुम्हारे ऊपर नज़र बनाए हुए थे। यह पढ़ कर वह युवक अपना सिर पकड़ कर बैठ गया। कुछ ही देर में राजा के सैनिक आए और उसे बंदी बना कर ले गए।
Moral of The Story : अगर युवक लालच नही करता तो आज उसका भविष्य पूरी तरह बदल जाता उसकी पूरी ज़िंदगी ऐसों-आराम से बीतती। लेकिन लालच कि वजह से अब उसकी लाइफ़ अंधकारमय हो गई और उसे जेल भी जाना पड़ा। इसीलिए कहा जाता है – लालच बुरी बला है (Lalach Buri Bala Hai)।
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