एक गाँव में सोहन नाम का चरवाहा रहता था। वो रोज़ाना अपने गाय-बैल को लेकर जंगल चराने जाता और वहाँ से लकड़ी काट कर लाता था। लेकिन जंगल में उसके गाय-बैल चरते-चरते इधर-उधर भटक जाते थे, जिससे चरवाहे को उन्हें खोजने के लिए काफ़ी मेहनत करनी पड़ती थी।
एक दिन वो घंटिया ख़रीद कर सभी गाय-बैल के गले में बांध दिया ताकि वो उन्हें आसानी से खोज सके। उन सभी गायों में सोहन को एक गाय जिसका नाम ‘मौली था’ बहुत प्यारी थी इसलिए उसने उस गाय के गले में सबसे अच्छी घंटी बांध दी।
ऐसे से दिन बीतते गए एक दिन एक आदमी जंगल में उस गाय को देखता है और फिर सोचता है क्यों ना इस गाय को चुरा लिया जाए। वो आदमी फिर सोहन के पास गया और बोला – भाई साहेब! उस गाय के गले में बधी घंटी मुझे बहुत पसंद है। क्या तुम मुझे उसकी घंटी दे सकते हो? तुम जितना पैसा माँगोगे मैं तुम्हें दे दूँगा।
सोहन सोचा इस घंटी के बहुत पैसे मिलेंगे जिससे वो दूसरी ला लेगा और कुछ पैसे बच भी जाएँगे। इतना सोच कर वो उस आदमी को घंटी दे देता है और उसके बदले में मुँह माँगी रक़म ले लेता है।

दूसरे दिन भी सोहन अपने गाव-बैल को चराते हुए लकड़ी काट रहा था, तो वो आदमी आया और सोहन को वहाँ ना देख कर उस मौली को अपने साथ ले गया। शाम को सोहन अपने सभी गाय-बैल को लेकर घर आया तो देखता है कि उसकी गाय मौली नही दिख रही।
अब उसे कुछ समझ नही आ रहा था। गले में घंटी ना होने से वो अपनी सबसे प्यारी गाय को खोज भी नही सकता था। सोहन अगले कई दिन तक जंगल में गाय को बहुत खोजा लेकिन वो नही मिली। इसीलिए कहते हैं – लालच बुरी बला है। अगर सोहन पैसों के लालच में गाय की घंटी नही बेचता तो उसी गाय चोरी नही होती।