Daanveer Khargosh ki Kahani
Kahani : दोस्तों, आज हम आपके लिए दानवीर खरगोश की हिंदी कहानी (Hindi Kahani) एक जातक (Jataka Katha) लेकर आए हैं। यह कहानी (Kahani) आपको ज़रूर पसंद आएगी। आइए आपको कहानी (Kahani) बताते हैं…।
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Kahani : Daanveer Khargosh Hindi Kahani, Jataka Katha |
एक समय की बात है, एक नदी के किनारे गाना जंगल था। उस जंगल में एक खरगोश और उसके तीन दोस्त (हिरन, लोमड़ी और मगरमच्छ) रहते थे। सभी में साथ में खेलते-कूदते और पढ़ते थे। चारों दोस्त ख़ुद को दानवीर के रूप में देखना चाहते थे। इसके लिए चारों दोस्तों ने जंगल महोत्सव के दिन दान देने का फैसला किया। जंगल महोत्सव हर साल उस जंगल में बड़े धूम धाम से मनाया जाता था और उस दिन किसी एक को जंगल के नियम के अनुसार जो सबसे अच्छा और बड़ा दान करता था उसे दान-वीर घोषित किया जाता था।
Kahani : जंगल महोत्सव का दिन नज़दीक आने वाला था, तो चारों दोस्त सोच में पड़ गए की वो क्या दान करें। एक दिन सुबह सुबह हिरन भोजन की तलाश में घूमते-घूमते काफ़ी दूर निकल गई, तो उसे केले का पेड़ दिखाई दिया। हिरन ने सोचा इस केले को ही दान किया जाए। वह हिरन वहाँ से बहुत से केले लेकर अपने घर वापस आ गई।
इसी तरह लोमड़ी भी अपने भोजन की तलाश में इधर-उधर भटक रही थी, तो उसे एक जीव मरा पड़ा मिला। वह उसका माँस लेकर अपने घर आ गई और सोचा की इसे ही दान करेगी।
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दूसरी तरफ मगरमच्छ नदी में अपने भोजन की तलाश और दान की वस्तु खोजते के लिए भटक रहा था, तो उसे भी कुछ मछलियाँ मिल गई। वह मगरमच्छ उन मछलियों को लेकर वापस आ गया।
Kahani : अब तक तीन दोस्त (हिरन, लोमड़ी और मगरमच्छ) ने दान देने के लिए कुछ ना कुछ जोड़ लिया था लेकिन दूसरी तरफ खरगोश इस असमंजस में था की वह क्या दान करे? ताकि दुनिया उसे दानवीर माने। यह सोचते सोचते उसे विचार आया की वह अपना खाना खाने वाला बर्तन दान दे। फिर उसे लगा कि उसका बर्तन दान पाने वाले के किसी काम ना नही होगा इसलिए उसने इस विचार को त्याग दिया और कुछ और दान करने के बारे में सोचने लगा।
आप Daanveer Khargosh Hindi Kahani पढ़ रहे हैं। आगे पढ़िए क्या होता है? ख़रगोश कैसे बनता है सबसे बड़ा दानवीर?
फिर ख़रगोश के मन में विचार आया की क्यों ना ख़ुद को दान कर दिया जाए, इससे दान पाने वाला भी ख़ुश हो जाएगा और उसे परम संतोष मिलेगा।
ख़रगोश अब ख़ुद को दान करने का निर्णय ले चुका है। यह बात जंगल में और आस पास हर जगह आग की तरह फैल गई। ख़रगोश के दान के बारे में जब देवताओं के राजा इंद्र ने सुना तो वह भी अचंभित रह गए। अब इंद्र ख़रगोश ने इसका कारण जानना चाहते थे, तो उन्होंने चारों दोस्तों की परीक्षा लेने का निर्णय लिया।
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चारों दोस्तों की परीक्षा लेने के लिए इंद्र सन्यासी का रूप धारण करके एक एक करके चारों दोस्तों के पास गए और भिक्षा माँगी। जब इंद्र हिरन के पास जकार भिक्षा माँगी तो हिरन ने केले दान दिया। हिरन ने केला दान में पाकर इंद्र वहाँ से चल कल अगले दोस्त लोमड़ी के पास गए और भिक्षा माँगी।
लोमड़ी ने भी अपना इकट्ठा किया हुआ माँस दान में दे दिया। अब इंद्र मगरमच्छ के पास गए तो मगरमच्छ ने भी दान स्वरूप मछलियाँ दी। यह सब लेकर इंद्र खरगोश के पास गए।
Kahani : जब इंद्र ख़रगोश के पास भिक्षा माँगी तो ख़रगोश ने कहा – महाराज! मेरे पास दान के लिए मेरे शरीर के आलवा कुछ नही है। अगर आप मेरे शरीर को दान के रूप में स्वीकार करें तो मैं आपको अपने शरीर का माँस अंगीठी में सेंककर दान में दे सकता हूँ। तो इंद्र इसके लिए राज़ी हो गए।
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अब ख़रगोश ने अंगीठी जलाई और ख़ुद को साफ़ करके 3-4 बार अपने शरीर के बालों को झटका ताकि उसके बालों के साथ कोई जीव ना जल जाए। उसके बाद ख़रगोश उस अग्नि में प्रवेश कर गया। लेकिन क्या देखता है की उस आग से उसे कुछ नही होता। इसके पीछे इंद्र की कृपा थी, जिससे ख़रगोश को कुछ नही हुआ।
ख़रगोश की दानवीरता देखकर इंद्र आश्चर्य में पड़ गए, क्योंकि इससे पहले उन्होंने इस तरह का दानी नही देखा था।
आश्चर्यचकित होकर इंद्र ने उस दानवीर ख़रगोश की प्रसंशा की और उसे आशीर्वाद दिया। साथ ही इंद्र ने उस ख़रगोश का चित्र चाँद पर उकेर कर उसे अमर कर दिया। और बरदान के रूप में ख़रगोश को सबसे बड़ा दानी की पदवी दी।
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इस तरह ख़रगोश उस समय से सबसे बड़ा दानी बन गया। और पूरे जंगल में उसका गुणगान होने लगा।
कहानी (Kahani) Daanveer Khargosh की हिंदी कहानी (Hindi Kahani)
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