Horror Stories in Hindi – The Haunted Mansion of Nashik ॰ नाशिक की भूतिया हवेली
दोस्तो! यह कहानी नाशिक की एक भूतिया हवेली के बारे में है। भूत की यह कहानी (Ghost Story) सच्ची घटना पर आधारित है। आइए जानते हैं नाशिक की भूत वाली हवेली की कहानी के बारे में।
नाशिक शहर के उत्तर साइड बनी इस हवेली को कई सालों पहले अंग्रेज़ों के ज़माने में राजा-महाराजाओं ने बनवाया था। लेकिन पिछले कई दशकों से इस हवेली में कोई नही रहता था। यह हवेली पूरी तरह से खाली और वीरान पड़ी थी। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस हवेली में भूत-प्रेत रहते हैं, इसलिए कोई चाहकर भी इसके अंदर जाने की हिम्मत नही करता।
जब इस हवेली के बारे में दिल्ली के मशहूर वैज्ञानिक “वैभव प्रजापति” जो आत्माओं पर रीसर्च कर रहे थे को पता चला तो उनकी ख़ुशी का जैसे ठिकाना ही नही रहा। वो कब से ऐसी ही किसी Haunted Place (भूतिया जगह) की तलाश में लगे थे, ताकि उनकी आत्माओं वाली रीसर्च में हेल्प मिल सके।

वैभव अब इस हवेली में जाने के लिए तैयारी करने लगे ताकि वो यहाँ कुछ समय बीता कर पता कर सकें की क्या सच में भूत होते हैं या फिर सिर्फ़ कोरी अफ़वाह बस है। वैभव हवेली के रहस्य को उजागर करने के लिए अगले दिन दिल्ली से फ़्लाइट लेकर सीधा मुंबई उतरे और वहाँ से टैक्सी लेकर नाशिक पहुँच गए।
नाशिक में उन्होंने उस हवेली को खोजा और उसके पास ही एक होटल में रूम लेकर पूरी प्लानिंग करने लगे। देर शाम लगभग 6 बजे जब सूरज ढलने वाला था वैभव अपना कुछ सामान लिए हवेली की तरफ़ निकल पड़े। अब वैभव सोच रहे थे कि उनको कोई नही देख रहा चुपचाप हवेली के अंदर चले जाना चाहिए।
जैसे ही वैभव ने हवेली का मेन गेट खोल कर अंदर जाने की कोशिश की तो गेट के पास ना जाने कहा से एक आदमी आ गया, जिसको देख कर वैभव एक दम से डर गए। वैभव कुछ बोल पाते उससे पहले ही उस आदमी ने वैभव से पूछा – कौन हैं आप, इतनी शाम को अंदर क्यों जा रहे हैं? यहाँ कोई नही जाता।
वैभव उस आदमी की ओर एक टक देखे जा रहे थे, फिर गहरी साँस लेते हुए उन्होंने उस आदमी से पूछ लिया – हेलो, आप कौन हैं?
आदमी – मेरा नाम हरिलाल है और पास ही मेरा घर है। मैं यहाँ से गुज़र रहा था, तो आपको यहाँ देख कर सोचा कोई बाहरी होगा, जिसको इस हवेली के बारे में पता नही होगा। इसलिए आपको बताने आ गया।
वैभव – ओह, मैंने सुना है कि ये हवेली भूत वाली हवेली है और यहाँ कोई नही रहता। ये कई सालों से वीरान पड़ी है। इसीलिए मैं यहाँ आया हूँ ताकि इस हवेली में कुछ समय रुक सकूँ और लोगों के बीच फैली अफ़वाह का सच पता कर सकूँ।
हरिलाल – क्या…? क्या मतलब है आपका? आपको इस हवेली के बारे में पता है फिर भी आप यहाँ रात में रुकना चाहते हैं।
वैभव – जी हाँ! आपने सही कहा। मैं यहाँ रुकने वाला हूँ।
हरिलाल – मेरी बात मानिए और तुरंत यहाँ से वापस लौट जाइए। इस हवेली में जो भी जाता है, वो वापस नही लौटता।
हरिलाल की बात सुन कर तो वैभव की मानों लॉटरी लग गई हो। वो ख़ुशी के मारे फुले नही समा रहे थे, क्योंकि उनको अपनी रीसर्च पूरी करने और आत्माओं के बारे में पता करने के लिए सही मौक़ा मिल चुका था।
वैभव को ख़ुश देख हरिलाल अचंभित होते हुए पूछा – तुम्हें डर नही लगता क्या, तुम तो हवेली की असलियत जान के ख़ुश हो रहे हो, क्यों?
वैभव – भाई, आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि मैं एक वैज्ञानिक हूँ और ऐसी बेकार अफ़वाहों पर ध्यान नही देता। मैं तो कई सालों से आत्माओं पर रीसर्च कर रहा हूँ, मुझे तो आज तक कोई आत्मा नही दिखी।
इस हवेली के बारे में जो कहानी बना कर अफ़वाह फैलाई गई है, आज मैं उसका सच सामने लाने वाला हूँ। मैं इस हवेली में जाकर पूरी रात रहूँगा और कल सुबह ही आप सबको इसकी सच्चाई बताऊँगा।
इतना कह कर वैभव उस हवेली के अंदर चले जाते हैं। हरिलाल की वैभव रोकने की कोशिश फ़ेल हो जाती है। वैभव के अंदर जाते ही हरिलाल भी जल्दी से उलटे पाव अपने घर की तरफ़ चला जाता है।
जैसे ही वैभव हवेली के अंदर पहुँचता है, हवेली के अंदर का नज़ारा देख कर उसको होश ग़ायब हो जाते हैं वो बिल्कुल शून्य पड़ जाता है। वह हवेली किसी भूतिया जगह से कम नही लग रही थी। चारों तरफ़ मकड़ी के जाले, हर तरफ़ धूल जमी हुई, सामान इधर-उधर बिखरा पड़ा हुआ। दीवार पर ऊल-जुलूल भाषा में कुछ लिखा हुआ।
ये सब देख कर एक पल के लिए वैभव को तो लगा की शायद सच में यहाँ भूत है क्या? फिर वो कुछ सोचते हुए अपना सामान का बैग साइड में रखा और हवेली के अंदर इधर-उधर घूम कर देखने लगे। पहली मंज़िल में घूमने के बाद वो दूसरी मंज़िल में चले गए और कुछ ही देर में घूम कर वापस नीचे आ गए।
कुछ देर बाद वो हवेली के ड्रॉइंग रूम की तरफ़ गए और वहाँ बिखरा पड़ा सामान हटा कर धूल साफ़ की और सोफ़े में जा बैठे। सोफ़े पर बैठने के बाद वैभव की नज़र को ड्रॉइंग रूम में रखी दारू की बाटलों पर पड़ी, तो उठ कर वो 1-1 बॉटल देखने लगे और उनके हाथ जब रेड वाइन लगी तो उन्होंने उसका ढक्कन खोल सीधा 2-4 पैक हलक से नीचे उतार दिया।
दारू पीने के बाद वैभव वापस सोफ़े पर बैठ गया और अपने मोबाइल में सॉफ़्ट म्यूज़िक चालू करने झपकी लेने लगा। जैसे ही वैभव को झपकी लगी किसी से दूसरी मंज़िल से फ़्लावर पॉट को नीचे फ़ेक दिया, जो धड़ाम से फर्स पर गिरा और टूट कर बिखर गया। फ़्लावर पॉट के गिरने की आवाज़ से वैभव डर के झट से उठ कर खड़ा हो गया।
इतने में ही ड्रॉइंग रूम का बल्ब चालू बंद होने लगा और देखते ही देखते पूरी हवेली के बल्ब चालू बंद होने लगे। एक पल के लिए तो मानो वैभव के पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई हो, वो डर के मारे पसीने से तरबतर हो चुका था।
फिर कुछ पल के लिए सब कुछ शांत सा हो गया, जैसे कुछ हुआ ही ना हो। वैभव ने अपने आप को संभालते हुए डरती हुई भरभराती आवाज़ में बोला – कौन….कौन है….कौन है यहाँ।
अभी वैभव आवाज़ लगा कर पूछ ही रहा था की अचानक से एक कुर्सी उसकी तरफ़ उड़ती हुई आई। मानों जैसे किसी ने वैभव को वो कुर्सी फेंक कर मारी हो। वैभव अपने आप को बचाते हुए एक साइड हो जाता है और वो कुर्सी सामने दीवार में लग कर टूट जाती है।
यह सब देख कर वैभव डर के मारे कापने लगा।
कुछ पल बाद ही ड्रॉइंग रूम गोल-गोल घूमने लगा। वैभव को कुछ समझ नही आ रहा था, वो डर के कारण बस चिल्लाए जा रहा था। लेकिन उसके चिल्लाने की आवाज़ हवेली की चार-दिवारी में ही दब कर रह गई।
ड्रॉइंग रूम के गोल-गोल घूमने से वैभव को चक्कर आ गया और वो बेहोश होकर गिर पड़ा। तभी एक फ़्लावर पॉट उसके सिर में आकर लगा और उसका सिर ख़ून से लथपथ हो गया।
कुछ घंटों बाद जब वैभव को होश आया तो वो अपनी घड़ी में टाइम देखा तो रात के 12 बज चुके थे। अब वैभव डर से थर्थर काँपते हुए अपना सामान भूल सीधा गेट की तरफ़ भागा। वैभव गेट से बाद दो क़दम की दूरी पर था कि……….अचानक धड़ाम से गेट बंद हो गया। वैभव ने बहुत कोशिश की लेकिन गेट नही खुला।
गेट के पास ही वैभव चिल्लाने और ज़ोर ज़ोर से रोने लगा – कोई है क्या? कोई है क्या? बचाओ।
सब उसका चिल्लाना बेकार हो गया और उसे कहीं से कोई मदद नही मिली तो अब वो हिम्मत करके खड़ा हुआ और ज़ोर से बोला – कौन है, सामने आओ।
वैभव के इतना कहते ही – एक 6 फ़ुट का बिल्कुल कोयले जैसे काला इंसान उसके सामने खड़ा हो गया, जिसकी आँखें सुर्ख़ लाल थी और उसका चेहरा इतना भयानक था कि कोई भी उसके सामने खड़ा नही हो पता। उसके बड़े-बड़े घुंघराले बाल और पैर ग़ायब थे, वो इंसान ज़मीन से क़रीब 5 फ़ुट ऊपर हवा में था।
उस इंसान को देखते थे वैभव एक बार फिर डर से कापने लगा और पसीने से भीग गया। अगले ही पल वैभव ने होश संभालते हुए उससे पूछा – तुम कौन हो? और मुझे क्यों मारना चाहते हों? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है।
उस आदमी की रूह ने कहा – तुमने इस हवेली में आकर ग़लती की है। मैं किसी को यहाँ नही रहने दूँगा, सबको मार दूँगा।
वैभव – लेकिन तुम सबको मारना क्यों चाहते हों? इस हवेली में आख़िर ऐसा क्या है कि तुम सबकी जान लेने में तुले हो?
उस रूह ने जवाब दिया – कई साल पहले इस हवेली के मालिक ने मुझे बिना ग़लती के मार कर इसी हवेली में दफ़ना दिया था। इसलिए अब मैं यहाँ किसी को ज़िंदा नही छोड़ूँगा। जो भी इस हवेली में आएगा उसको मार दूँगा। मुझे इस हवेली के मालिक ने तड़पा कर मारा था, वैसे ही मै सबको तड़पा कर मारूँगा। तुम भी मरने के लिए तैयार हो जाओ। मैं तुम्हें भी नही छोड़ने वाला। मेरी आत्मा इसी हवेली में क़ैद होकर रह गई है। क्योंकि मेरा यहाँ खून हुआ था।
कुछ ही पल में उस रूह ने और डरावना रूप ले लिए और सामने के झूमर में उलटा लटक गया, उसके बाद वो कभी वैभव के पीछे, तो कभी आगे आकर वैभव को डराने लगा। तभी वैभव ने अपनी जेब से मंदिर के पुजारी द्वारा दिए गए मंत्रो वाली राख को निकाला और रूह के क़रीब आने का इंतेज़ार करने लगा। जैसे ही वो रूह एक पल के लिए वैभव के सामने आई, तो वो तुरंत उस राख को रूह के ऊपर फेंक देता है।
मंत्रों वाली मंदिर की राख रूह के ऊपर पड़ते ही वो जलने लगता है, कुछ ही पल में उसमें भयानक आग लगी और वो जल कर भस्म हो गया। अब उसकी रूह हवेली से बाहर जा चुकी थी और इस दुनिया को छोड़ कर उस अलौकिक दुनिया में जा चुकी थी।
अब वैभव ने राहत की साँस ली और फिर हवेली की सारी लाइट जला कर ड्रॉइंग रूम में रखे सोफ़े पर जाकर सो गया।
दूसरे दिन वैभव की नींद क़रीब 7 बजे खुली। उसके बाद वैभव अपना सामान लेकर हवेली से बाहर जाने लगा। तब तक हरिलाल गाँव के कई लोगों को लेकर हवेली के गेट पर पहुँच चुका था और गाँव वाले वैभव को देखने हवेली के अंदर जाने ही वाले थे की वैभव को निकलता देखा उनके आश्चर्य का ठिकाना ना रहा।
जब वैभव गेट पर आया तो हरिलाल ने आश्चर्य से पूछा – तुम ज़िंदा हो? ये कैसे हो सकता है? इस हवेली से आज तक कोई ज़िंदा वापस नही आया।
हरिलाल आगे कुछ बोल पाता, उससे पहले ही वैभव उसकी बात काटते हुए बोला – अब इस हवेली में भूत नही है। वो जा चुका है।
हरिलाल ने पूछा – जा चुका….मतलब।
तब वैभव ने सभी गाँव वालों को रात वाली पूरी कहानी बताई और कहा की अब ये हवेली पूरी तरह से सेफ़ है।
दोस्तो, यह थी आज कि नाशिक की भूतिया हवेली – भूत की कहानी (Horror Stories in Hindi – The Haunted Mansion of Nashik), हमें उम्मीद है आपको यह कहानी पसंद आएगी।
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अब मैं शिवानी मिश्रा, भूत की इस कहानी को समाप्त करती हूँ और इस कहानी को पढ़ने के लिए आपको धन्यवाद करती हूँ! ऐसी ही कुछ और हिंदी कहानियाँ (Hindi Kahaniyan) पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें – Stories in Hindi.
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