Horror Stories in Hindi – Angry Ghost Head Story : दोस्तो, मेरा नाम विनय पटेल है। इस समय मैं इंदौर में रहता हूँ। मेरे माता-पिता गाँव के एक मामूली किसान हैं, उन्होंने कड़ी मेहनत करके मुझे पढ़ाया, इसके बाद भी आज मुझे एक अच्छी नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटकना पड़ता है।
नौकरी ना मिलने की वजह से मैं कुछ ना कुछ काम करके अपना ख़र्च चलाता हूँ। एक दिन मुझे एक रस्सी बनाने वाली फ़ैक्टरी में सुपरवाइज़र की नौकरी मिल गई। मेरे नौकरी का टाइम हर हफ़्ते बदलता रहता था। कभी दिन में तो कभी रात की शिफ़्ट में काम करना पड़ता था।
एक बार मेरी शिफ़्ट रात को शुरू हुई इसलिए मैं उस दिन आराम से शाम को खाना खाके अपनी साइकल से फ़ैक्टरी चला गया। उस रात क़रीब 11 बजे फ़ैक्टरी की पावर लाइन में शॉर्ट होने की वजह से लाइट चली गयी थी, तो फ़ैक्टरी के मैनेजर से सभी कर्मचारियों से घर जाने को बोल दिया। छुट्टी मिलते ही सभी कर्मचारी अपने-अपने घर चले गए।

लेकिन मेरे साथ मुसीबत ये थी की मैं साइकल से आता था और फ़ैक्टरी से मेरा घर क़रीब 5 किलोमीटर दूर था इसलिए मैं रात के अंधेरे में घर नही जाना चाहता था। ये समस्या मैंने मैनेजर को बताई तो वो बोले – फ़ैक्टरी के गेट पर ताला लगाकर यही सो जाओ। लेकिन मुझे ज़रा एहसास नही था कि मेरी यह एक छोटी सी ग़लती मेरे लिए डरावनी जानलेवा भूतिया रात में तब्दील हो जाएगी।
लाइट जाने के बाद फ़ैक्टरी के पावर बैकअप से सिर्फ़ कुछ लाइट और 1-2 फ़ैन ही चल रहे थे। मैंने फ़ैक्टरी के गेट में ताला लगाया और पास ही एक गद्दा पड़ा था उसी में जाके लेट गया। मुझे अभी नींद नही आ रही थी इसलिए मोबाइल में सॉफ़्ट म्यूज़िक लगाकर सोने की कोशिश करने लगा। लगभग 12 बजे के क़रीब अचानक मशीन चलने की आवाज़ आई। बिना लाइट के मशीन अचानक चलने लगी, यह देख डर के मारे मेरी हालत ख़राब होने लगी थी। मैं डर से काँपने लगा था।
फिर सोचा शायद लाइट आ गई हो और शायद कर्मचारी छुट्टी की ख़ुशी में जल्दबाज़ी में मशीन बंद करना भूल गए होंगे। मैंने जाकर स्विच ऑफ़ करनी चाही तो देखा तो मशीन तो पहले से बंद थी और लाइट भी नही थी। ये देख कर तो मेरा गला सूखने लगा, मैंने डर के मारे पसीने से तरबतर हो गया। एक पल के लिए तो मुझे लगा शायद आज मैं नही बचने वाला। मेरे दिल की धड़कने तेज़ हो गई थी।
मैं डर से काँपते हुए ज़ोर से चिल्लाया – कौन है?…कौन है वहाँ?
लेकिन मुझे कोई जवाब नही मिला।
अब मैं जल्द से जल्द उस फ़ैक्टरी से बाहर भागने के लिए गेट की तरफ़ भागा और ताला खोलने की कोशिश करने लगा। लेकिन जब बहुत कोशिश के बाद भी ताला नही खुला तो मुझे रोना आने लगा और अब डर से काँपते हुए दूसरे गेट की तरफ़ भागा। लेकिन दूसरे गेट में भी ताला लगा था और उसकी चाबी मेरे पास नही थी। आमतौर पर दूसरा गेट अंदर से बिना ताले के बंद रहता था, आज पता नही किसने ताला बंद कर दिया था। अब मैंने वही बैठ गया और आगे क्या होगा जैसे कई विचार मेरे मन में आने लगे।
कुछ पल बाद ही जैसे मेरी रूह कापने लगी, मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे पास हवा चल रही हो। कुछ पल बाद ही किसी अदृश्य रूह ने मुझे फ़ैक्टरी के तहखाने की ओर खींचना चालू कर दिया। वो मुझे घसीटता हुआ तहखाने की ओर ले जा रहा था। अब मुझे अपनी मौत साफ़ दिख रही थी। मैं बस चिल्ला सकता था, मै मदद के लिए चिल्लाता रहा- बचाओ…बचाओ….लेकिन मेरी आवाज़ उसी फ़ैक्टरी के अंदर दब कर रह गई।
ख़ुद को बचाने के लिए मैं इधर-उधर देख रहा था कि शायद ऐसा कुछ मिल जाए जिससे मै ख़ुद को बचा सकूँ। ऐसे में मेरी नज़र लाइट के मेन स्विच बोर्ड की तरफ़ गई, तो मेरे होश उड़ गए, वहाँ पर एक सिर कटी मुंडी नज़र आई। लाइट डिम होने की वजह से उसका चेहरा साफ़ दिखाई नही दे रहा था, जब मैंने ध्यान से देखा तो उसकी आँखें नही थी और उसके चारों तरफ़ अजीब सा काल धुँआ उठता हुआ दिखाई दे रहा था। अब मैं अपनी मौत को क़रीब देख चुका था।
कुछ ही पल में ना जाने कैसे फ़ैक्टरी की बैकअप लाइट भी बंद हो गई, अब मै अंधेरे में पागलों की तरह डर के मारे चिल्ला रहा था। अंधेरे में अब मुझे उस डरावने भूत ने मुझे घसीटना बंद कर दिया था, जिससे मैं उस अंधेरे में जहाँ था वही खड़ा हो गया। कुछ ही पल में मेरे हाथ-पैर ठंडे पड़ने लगे। मैं उसी जगह घने अंधेरे में अपने घुटनों पर बैठ गया। मेरी साँस भी फूलने लगी थी। तभी मुझे ऐसा लगा की मानो कोई फिर से मुझे घसीटना चालू कर दिया। उसकी बदबूदार गंध भी आ रही थी।
यही सब चलता रहा तो कुछ देर बाद मैं डर के मारे बेहोश हो गया। जब मुझे होश आया तो देखा की मेरे आस-पास कई परछाईयाँ हैं। वो सब एक दूसरे से कुछ बड़बड़ा रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे पिशाचों का झुंड मुझे मारने से पहले आपस में बात कर रहे हों।धीरे धीरे उनकी डरावनी आवाज़ें और तेज़ होने लगीं।
जब मैं इधर-उधर देखा तो मेरे सामने एक बिना शरीर की मुंडी ग़ुस्से में मेरी तरफ़ एक टक देख रही थी। उसको देख कर मेरी रूह कापने लगी। कुछ देर में ऐसा लगा मानो किसी ने मुझे फिर से खींचना चालू कर दिया। वो मुझे दरवाज़े की तरफ़ घसीट रहा था। अब मैं जान चुका था कि आज मेरी मौत होनी पक्की है। डर के मारे मैं फिर से बेहोश हो गया।
जब मुझे होश गया तो मेरे चारों तरफ़ उजाला था और मैं फ़ैक्टरी के गेट के बाहर ज़मीन पर पड़ा था। मैं अपना हाथ-पैर भी हिला नही पा रहा था। अब मै वही पड़े-पड़े अपनी मौत का इंतेज़ार कर रहा था। मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की मेरे साथ क्या हो रहा है?
जब सुबह फ़ैक्टरी के कर्मचारी आए तो वो लोग मुझे नज़दीक के हॉस्पिटल में भर्ती कराया। डॉक्टर मेरा चेकअप करने के बाद बोला माइनर हार्ट अटैक हुआ है। 1-2 दिन हॉस्पिटल में भर्ती रहने के बाद मुझे छुट्टी मिल गई, लेकिन आज भी मैं उस डरावने मंजर को नही भूल पाया।
फ़ैक्टरी के उस फिर कटे मुंड के बारे में सोच कर आज भी मेरी रूह काँप जाती है। डर के मारे मैंने उस फ़ैक्टरी से नौकरी छोड़ दी और कुछ दिनों के लिए अपने गाँव आ गया। लेकिन अपने घर में भी मुझे रात में नींद नही आती थी, जब भी फ़ैक्टरी के उस डरावने हादसे की याद ताज़ा होती है, तो मैं डर के मारे काँपने लगता हूँ।
दोस्तो, यह थी आज कि फ़ैक्टरी में बिना शरीर वाले क्रोधी पिशाच मुंड का तांडव – भूत की कहानी (Horror Stories in Hindi – Angry Ghost Head in Factory) हमें उम्मीद है आपको यह कहानी पसंद आएगी। अगर आपको हमारी यह फ़ैक्टरी में बिना शरीर वाले क्रोधी पिशाच मुंड का तांडव – भूत की कहानी (Real Ghost Story in Hindi) पसंद आई हो, तो इसे सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, Twitter, WhatsApp, Koo, Telegram इत्यादि में अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें।
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अब मैं शिवानी मिश्रा, इस डरावनी भूतिया कहानी को समाप्त करती हूँ और कहानी को पढ़ने के लिए आपको धन्यवाद करती हूँ! ऐसी ही कुछ और हिंदी कहानियाँ (Hindi Kahaniyan) पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें – Stories in Hindi.